धर्म रक्षा संघ भारत की सभी पवित्र नदियों का प्राचीन स्वरूप बरकरार रखने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। वर्तमान समय में भगवान श्री कृष्ण की पटरानी यमुना मैया अपनी वेदना और अत्यधिक दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।धर्म रक्षा संघ विगत अनेकों वर्षों से अविरल यमुना-निर्मल यमुना के संकल्प को लेकर संघर्षरत है। यमुना की शुद्धीकरण और अविरल धारा की माॅंग को लेकर सन् 2012 और 2013 में यमुना रक्षक दल के साथ मिलकर लाखों की संख्या में यमुना भक्तों के साथ पैदल दिल्ली मार्च किया था।अभी तक केंद्रऔर राज्य सरकार ने यमुना के शुद्धिकरण के नाम पर जनता की गाड़ी कमाई के करोड़ों रुपए खर्च किए हैं जिसका एक बड़ा हिस्सा संबन्धित अधिकारियों की जेब में गया है मगर धरातल पर दिखाई दे रहा है कि यमुना दिन प्रतिदिन पहले से भी ज्यादा प्रदूषित और संकुचित होती जा रही है अभी तक कोई भी सरकार यमुना के मुद्दे पर गंभीर नहीं रही केवल यमुना शुद्धिकरण के नाम पर लूट खसोट मची हुई है हालात यह है कि हरियाणा में हथनीकुंड के बाद यमुना का नामोनिशान नहीं है जो जल यमुना में आज हमें दिखाई देता है वह पूरी तरीके से हथिनी कुंड के बाद यमुना में प्रवाहित होने वाले गंदे नालों, नहरों और सीवर लाइन का जल है।इतना आंदोलन करने और सुप्रीम कोर्ट के अनेकों आदेशों के बाद भी अभी तक यमुना शुद्धिकरण और अविरल यमुना के कार्य में कोई प्रगति नहीं हुई है,धर्म रक्षा संघ सनातन धर्मावलंबियों की आस्था का सम्मान करते हुए जब तक यमुना में निर्मल और अविरल धारा प्रवाहित नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रखेगा इसके लिए जल्द ही बड़े आंदोलन और अदालती कार्यवाही की योजना तैयार की जा रही है इस बार यमुना को लेकर जो भी कार्यवाही या आंदोलन होगा वो आर पार का आंदोलन होगा सरकार को यमुना शुद्धिकरण के लिए झुकने को मजबूर किया जाएगा। अविरल यमुना - निर्मल यमुना के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समाज में नदियों की स्वच्छता के प्रति जागरूकता जरूरी है।गंगा में शुद्ध जल का प्रतिशत बहुत कम है लेकिन यमुना की स्थिति तो गंगा से भी की गुना ज्यादा खराब है। यमुना शुद्धीकरण तब ही संभव है जब यमुना किनारे की फैक्ट्रियों, कारखानों का केमिकल युक्त पानी और शहर के गंदे नाले एवं सीवर का अशुद्ध जल यमुना में न गिरने दिया जाए। यमुना को यदि अविरल और निर्मल बनाना है तो हर ब्रजवासी और श्रद्धालु को यमुना के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ करना होगा।यमुना शुद्धीकरण का अभियान किसी एक व्यक्ति या किसी एक संस्था के द्वारा पूर्ण नहीं किया जा सकता। इसके लिए एकजुटता के साथ सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। यमुना शुद्धीकरण तभी संभव होगा जब केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ समाज के हर वर्ग का व्यक्ति इसमें अपना सहयोग दे।यमुना जल के प्रवाह को बाधक न बनाया जाए। इसके लिए सभी राज्यों की सरकारों को सामंजस्य बनाना होगा और उसके प्राकृतिक प्रवाह को छोड़ना होगा। हरियाणा में हथिनी कुंड के बाद यमुना का प्रवाह रोक दिया गया है, ऐसा प्रतीत होता है कि हथिनी कुंड में यमुना को बंधक बना लिया है, पानी की आवक कम होने से प्रदूषण बढ़ रहा है। जगह जगह जलशोधन के साधन लगाए गए हैं, उनका निरीक्षण होना चाहिए। इसके साथ ही जनता और सरकार को जागरूक होकर मानीटरिंग करनी चाहिए। यमुना शुद्धिकरण सरकार की जिम्मेदारी है,उसे पूरा करने की उम्मीद की जाएगी और समाज की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। चूंकि नदियां देश के लिए शरीर के अंदर की नसों की तरह हैं। जिस तरह नसों में प्रवाहित रक्त दूषित होने से शरीर पर विपरीत असर पड़ता है, इसी तरह नदियों के दूषित होने से देश और समाज पर असर पड़ता है। वर्तमान सरकारें इस काम को करने में सक्षम हैं।
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