भगवान श्री कृष्ण को सबसे प्रिय गौ माता थीं इसी कारण उनका नाम गोपाल है। धर्म रक्षा संघ गौ सेवा और गौ रक्षा में चौबीस घंटे तत्पर रहता है। संघ के द्वारा वृन्दावन में *सुरभि गौशाला* का संचालन किया जा रहा है। संघ के गौ रक्षक अब तक हजारों गौवंश को गौ तस्करों के चंगुल से छुड़ाकर उचित गौशालाओं में पहुॅंचा चुके हैं। संघ द्वारा जरूरत मंद गौशालाओं में भूसा,हरा चारा आदि की व्यवस्था की जाती है। संघ ने करोना काल में भूख से तड़पते गौवंश को भूसा,चारा आदि की व्यवस्था की। गौ सेवा का प्रकल्प धर्म रक्षा संघ के मुख्य उद्देश्यों में से एक है भगवान कृष्ण जो कि स्वयं गोपाल थे आज उनकी गायों की स्थिति बहुत दयनीय हो चुकी है महंगाई के कारण आम गौ पालक गौ सेवा से दूर होते जा रहे हैं जो गोपालक बचे हैं उन्हें भी गौमाता का पालन करना एक महंगा सौदा साबित हो रहा है इसके बावजूद साधनहीन होने के बाद भी बहुत से गौ प्रेमी लोग अपने घरों में गौ सेवा कर रहे हैं और अभावग्रस्त गौशालाओं में गौ माता की सेवा की जा रही है धर्म रक्षा संघ ऐसे गौ पालकों एवं गौशालाओं को गौ माता के खाने के लिए चारा भूसा इत्यादि की व्यवस्था समय समय पर अपने माध्यम से करवाता है।ज्यादा से ज्यादा लोगों को गौ पालन करने की प्रेरणा भी धर्म रक्षा संघ के द्वारा प्रदान की जाती है।जब से नई टेक्नोलॉजी कृषि क्षेत्र में आई है सबसे गोवंश में नंदी के लिए बड़ी समस्या पैदा हुई है धर्म रक्षा संघ ऐसे नंदियों को जिन्हें लोग सड़कों पर छोड़ देते हैं उन्हें उचित आश्रय प्रदान करने वाली गौशालाओं तक पहुंचा कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करता है। बीमार, लाचार और दुर्घटनाग्रस्त गौ वंश को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। गौ माता की परिक्रमा से संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा मानी जाती है।हमारी संस्कृति में गाय को संपूर्ण विश्व की माता माना गया है।गाय के अंगों में संपूर्ण देवताओं का निवास बताया गया है। गाय की छाया को भी हमारे धर्म ग्रंथों में शुभ माना गया है। यात्रा के समय गौ माता का दर्शन सुखद यात्रा के लिए अति लाभकारी माना जाता है।गाय को एक पवित्र शक्ति के रूप में भी हमारे धर्म ग्रंथों में माना गया है। गाय के शरीर को स्पर्श करने वाली हवा को भी हमारे सनातन धर्म में पवित्र माना जाता है। हमारे शास्त्रों में गाय को 33 कोटि देवताओं का निवास स्थान बताया गया है। केवल गौ माता की सेवा से ही संपूर्ण देवी देवताओं की सेवा संपन्न मानी गई है, और इसलिए गौ माता को सर्वदेवमयी और सर्वतीर्थमयी भी कहा जाता है। जहां गाय बैठती है,वहां की भूमि भी पवित्र मानी जाती है,और गाय के चरणों की धूल को भी अति पवित्र माना जाता है।गाय से धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है गौ माता के दर्शन मात्र से समस्त देवताओं के दर्शन एवं समस्त तीर्थो का पुण्य भी प्राप्त हो जाता है। गौ दर्शन, गौ पूजन, स्मरण,कीर्तन,और गोदान करने से मनुष्य सर्व विधि पापों से मुक्त होकर अक्षय लोक को प्राप्त करता है।गौ की परिक्रमा से संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा मानी जाती है।हमारे सनातन धर्म के कोई भी मंगलिक अनुस्ठान की पूर्ति भी गौ द्रव्य पदार्थों के बिना पुर्ण नहीं होती। हमारे सभी धार्मिक कार्यों में गाय का दूध,गोबर और गोमूत्र विशेष महत्व रखते हैं। गौ सेवा करने से हमारे अंतःकरण, और मन में निर्मलता, पवित्रता, और प्रसन्नता का संचार होता है।हमारा औरा बढ़ता है।चेहरे पर तेज और प्रसन्नता तथा आत्मबल बढ़ता है। हमारे पूर्वज, ऋषि,मुनि, गौ माता को वनो और जंगलों,तथा अपने दैनिक जीवन में अपने ही साथ रखते थे क्योंकि वे गौ को ही अपना धन मानते थे। जिनके पास जितने गौ वंश होते थे, वे उतने धनवान माने जाते थे।
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