एक अनुमान के मुताबिक आज भारत में लगभग 40000 से अधिक सनातनी धर्म स्थलों को तोड़कर मस्जिद,ईदगाह या कब्रिस्तान बना दिये हैं। धर्म रक्षा संघ ने ऐसे अनेक स्थान चिन्हित किये हैं जिनकी मुक्ति के लिये अभियान चलाये जा रहे हैं। मथुरा जिले की छाता तहसील में श्री बिहारी जी के मंदिर को पहले ध्वस्त किया गया था।अब सन 2020 में मंदिर के गर्भ गृह के चबूतरे पर बने सिंघासन को तोड़कर बहाॅं मजार बना दी गई है। धर्म रक्षा संघ ने श्री बिहारी जी की भूमि मुक्त कराने और मजार हटाकर उस भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण करने का संकल्प लिया है।भारत में 7वीं सदी के प्रारंभ में मुस्लिम आक्रांताओं का आक्रमण प्रारंभ हुआ था। यहां उन्होंने सोना-चांदी आदि दौलत लूटने और इस्लामिक शासन की स्थापना करने के उद्देश्य से आक्रमण किए। 7वीं से लेकर 16वीं सदी तक लगातार हजारों हिन्दू, जैन और बौद्ध मंदिरों को तोड़ा और लूटा गया। उनमें से कुछ ऐसे थे, जो कि विशालतम होने के साथ ही भारतीय अस्मिता, पहचान और सम्मान से जुड़े थे।देश भर में कुल 6.1 लाख सम्पत्ति वक्फ बोर्ड के अधीन हैं जिसका कुल मूल्य लाखों करोड़ रुपए है, जबकि स्वतंत्रता के समय मुस्लिम आबादी केवल 2-3 करोड़ थी। उसके मदरसों, मजारों, मस्जिदों व कब्रिस्तानों की संख्या भी लगभग नगण्य थी। ‘पीरों की मजारों’ व दरगाहों के नाम पर हर गांव, नगर, गली, चौराहे पर हरी चादर ओढ़ा कर उसे एक मजार जैसा चिनवाकर उसके आसपास की जमीन हथिया ली जाती है। एक आकलन के अनुसार भारत में अभी सात लाख से भी अधिक मस्जिदें हैं जिनकी संख्या 1947 में कुछ हजार ही थी। अजमेर, निजामुद्दीन, आला हजरत, हजरत बल आदि दरगाह में प्रतिवर्ष करोड़ों का चढ़ावा आता है परन्तु उसमें से एक नया पैसा सरकार को नहीं जाता। मुसलमानों या वक्फ बोर्ड की अधिकतर संपत्ति को अवैध कब्जा के जिरए या सुल्तानों ने जबरन उनकी मिल्कियत को हथियाकर बादशाहनामे के तहत उन पर कब्जा कर रखा है। ताजमहल को भी वक्फ बोर्ड ने हथियाने का प्रयत्न किया था, लेकिन शिया वक्फ बोर्ड ने इस पर यह कहकर आपत्ति जताई कि नूरजहां शिया थी इसलिए इस संपत्ति का हक उनको जाता है। पर न्यायालय ने इसको खारिज कर ताजमहल को राष्ट्रीय संपत्ति ही माना। वक्फ बोर्ड पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, वह किसी भारतीय कानून से नहीं अपितु मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से नियंत्रित होता है। इन कब्जाए गए स्थानों पर चल रहे मदरसे इस देश में इस्लामी कट्टरवाद की तालीम दे रहे हैं, दीनी शिक्षा के नाम पर मुसलमानों की नई पीढ़ी में मजहबी उन्माद भर रहे हैं। कई मौकों पर ऐसी खबरें आई हैं कि मदरसों के कई छात्रों को सीरिया व अफगानिस्तान में लड़ने भेजा गया या वे भारत में आतंक मचा रहे हैं। परन्तु आजादी के बाद से देश की किसी भी सरकार ने इन जबरन कब्जाई संपत्तियों को अपने अधिकार में लेने का प्रयत्न नहीं किया। 500 वर्ष लग गए रामजन्मभूमि को स्वतंत्र कराने में, जबकि मथुरा व काशी समेत हिन्दू समाज के हजारों प्रमुख आस्था केन्द्र अभी भी अवैध इस्लामी कब्जे में हैं। धर्म रक्षा संघ उन सभी हिन्दू धर्म स्थलों को जिन पर मुस्लिम समाज ने अवैध कब्जा किया हुआ है वापस लेने के लिए अदालती कार्यवाही के अलावा धर्म स्थलों की रक्षार्थ आंदोलन भी करेगा। सनातनी हिन्दू समाज अब अपनी एक इंच भूमि पर मुस्लिम समाज का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं करेगा।
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