बाँकेबिहारी मंदिर मथुरा जिले के वृंदावन धाम में स्थित है। यह भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। बाँकेबिहारी जी श्री कृष्ण का ही एक रूप है| मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को संगीत के मुख्य आचार्य स्वामी हरिदासजी महाराज के हरिभक्ति आराधना को साकार रूप देने के लिए भगवान बांकेबिहारीजी निधिवन में प्रकट हो गए। स्वामीजी ने इस श्रीविग्रह को वहीं प्रतिष्ठित कर दिया। मुगलों के आक्रमण के समय भक्त इन्हें भरतपुर ले गए। वृंदावन के भरतपुर वाला बगीचा नाम के स्थान पर 1921 में मंदिर निर्माण होने पर बांकेबिहारी एक बार फिर वृंदावन में प्रतिष्ठित हुए, तब से यहीं भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। भगवान बिहारीजी का प्रमुख विशेषता यह है कि यहां साल में एक दिन ही ठाकुर जी के चरण दर्शन होते हैं। साल में एक बार ही ठाकुर जी बंशी धारण करते हैं और यहां साल में केवल एक दिन, जन्माष्टमी के बाद भोर में मंगला आरती होती है, जबकि वैष्णव मंदिरों में नित्य सुबह मंगला आरती होने की परंपरा है।
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