कुमुदवन

कुमुदवन तालवन से दो मील पश्चिम में स्थित है। इसका वर्तमान नाम कुदरवन है। यहाँ एक कुण्ड है, जिस कुमुदिनी कुण्ड या विहार कुण्ड भी कहते हैं। श्रीकृष्ण एवं श्रीबलराम जी सखाओं के साथ गोचारण करते हुए इस रमणीय स्थान पर विचरण करते थे । सखाओं के साथ श्रीकृष्ण स्वयं इसमें जलविहार करते तथा गऊओं को भी मधुर शब्दों से बुलाकर चूँ–चूँ कहकर जल पिलाते, तीरी तीरी कहकर उन्हें तट पर बुलाते । कमुदिनी फूलों के हार बनाकर एक दूसरे को पहनाते । कभी–कभी कृष्ण सखाओं से छिपकर राधिका, ललिता, विशाखा आदि प्रियनर्म सखियों के साथ जल–विहार करते थे । आजकल यहाँ कुण्ड के तट पर श्री कपिल देव जी की मूर्ति विराजमान है । भगवान कपिल ने यहाँ स्वयं भगवान श्री कृष्ण की आराधना की थी । यहाँ से ब्रजयात्रा शान्तनु कुण्ड से होकर बहुलावन की ओर प्रस्थान करती है। आसपास में उस पार, मानको नगर, लगायो, गणेशरा (गन्धेश्वरी वन) दतिहा, आयोरे, गौराई, छटीकरा, गरुड़ गोविन्द, ऊँचा गाँव आदि दर्शनीय लीला–स्थलियाँ हैं।

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