भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने के बाद दाऊजी के दर्शन न किए तो ब्रज भ्रमण पूरा नहीं माना जाता है। ब्रज के कण-कण में जहां श्रीकृष्ण का वास है वहीं दाऊजी की भी विशेष कृपा भक्तों पर बरसती है। दाऊजी का ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर बलदेव में बना है। मथुरा में यह 'वल्लभ सम्प्रदाय' का सबसे प्राचीन मंदिर है। बलदेव एक ऐसा तीर्थ है, जिसकी मान्यताएं हिंदू धर्मावलम्बी करते आए हैं। धर्माचार्यों में वल्लभाचार्य जी के वंश की तो बात ही पृथक है। निम्बार्क, माध्व, गौड़ीय, रामानुज, शंकर कार्ष्णि, उदासीन आदि समस्त धर्माचार्यों में बलदेव जी की मान्यताएं हैं। सभी नियमित रूप से बलदेवजी के दशनार्थ पधारते रहे हैं और यह क्रम आज भी जारी है। बलदाऊ की नगरी बलदेव में हुरंगा की परंपरा पांच सौ वर्ष पुरानी है। माना जाता है कि श्री बलदाऊ के विग्रह की यहां प्रतिष्ठा 1582 में हुई थी। बताया जाता है कि मंदिर में विग्रह की स्थापत्य काल में बलदाऊ में हुरंगा खेलने की परंपरा पड़ी।
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