निधिवन

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श्री निधिवनराज, वृंदावन मे यमुना जी के समीप एक बहुत ही रमणीक कुंज है। यहाँ अद्भुत आनंद की अनुभूति होती है। निधिवन ही वास्तविक नित्य वृंदावन है।। यहाँ विशाल तुलसी के वृक्ष है, बिना जल स्रोत एवं जड़ के यह बृक्ष मानों एक दूसरे का हाथ पकड़ नृत्य कर रहे हो कहा यह भी जाता है कि कृ्ष्ण की सखियां ही तुलसी बृक्ष है इतना विशाल तुलसी वन अन्यत्र कहीं भी नहीं है(सामान्य झाडी नही)। यहाँ लगभग 1500 ई.मे स्वामी श्री हरिदास जी (1480-1575 ई) का आगमन हुआ था, जिनका प्रकाट्य वृंदावन के निकट राजपुर मे अपने ननिहाल मे हुआ था।इनके पिता श्री आशुधीर थे। स्वामी जी अपने स्वरूपगत दिव्यता तथा अगाध प्रेम से अपने " स्वामी श्यामा-कुंज बिहारी" की नित्य लीला का रसास्वादन किया करते थे। उनके भजन का प्रताप आज भी निधिवन की उज्ज्वलतम मधुरता के रूप मे परिलक्षित हो रहा है।

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